बगैर इश्क़(Without Love - Hindi Poem)
दवा का असर भी बेसर हो जाए,
बगैर इश्क़ के ज़िन्दगी कुछ यूं हो जाए.
यूं तो खुशियां बहुत सी है ज़िन्दगी में,
तुम पास आ जाओ तो बागों में बहार हो जाए.
वैसे तो खोया भी बहुत है पाया भी है,
गर तुम साथ हो तो ज़िन्दगी गुलज़ार हो जाए.
ना दवा है, ना इलाज़ है, ना ज़रा सा रहम,
इस दौर में कोरोना को क़ातिल - ऐ - इश्क़ माना जाए.
रचनाकार - प्रमोद कुमार कुशवाहा
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