मिलने की ख्वाहिश (The wish to Meet Her - Hindi Poem)
मिला हूँ बस एक बार उनसे,
फिरसे जल्दी मिलने की ख्वाहिश है.
कभी इतना बेचैन ना हुआ,
क्या ये दिल की किसी और दिल से ज़ोर आज़माइश है.
पता नही मन किन ख्यालो में खोया सा दिखता है,
आईने में खुद को देख के मुस्कुराना भी अच्छा लगता है.
जो कमीज़ बेतरतीब सी डाल लेता था जिस्म पे,
अब बार बार संभालने को जी चाहता है.
वैसे पता है मुझे भी कि इंतेज़ार का फल मीठा होगा,
जैसे धीमी आँच पे चाय उबलने के बाद का मज़ा.
कुछ प्यारी सी शैतानियां भी आ गयी है मुझ में,
कि सबकी आंखों से छुपा के प्यार का इज़हार हो उनसे.
अच्छा लगता है टेनिस का गलत शॉट भी क्यूंकि,
उनका ख्याल ही था जो भटका दिया था मुझको.
अब तो हारना भी बुरा नही लगता इस खेल में,
भला हो क्यों अगर जीत हो रही हो दिल के खेल में.
ज़रूरी ये नही की शब्द दिल की बात कह जाएं,
ज़रूरी ये की बात उनके दिल को छू जाए.
मालूम नही की उनके दिल का हाल क्या है,
मर्ज यही है कि वहां भी हाल बेहाल सा है.
बुलाना चाहता हूँ उनको अपने दिल के पास,
जैसे किसी मूरत की जगह मंदिर के पास.
पता है कि वो भी आना चाहती है क्या करे,
थोड़ा सब्र है थोड़ा बेचैन भला क्या करे.
मिला हूँ बस एक बार उनसे,
फिरसे जल्दी मिलने की ख्वाहिश है.
कभी इतना बेचैन ना हुआ,
क्या ये दिल की किसी और दिल से ज़ोर आज़माइश है.
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Image Credits : Pixabay
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