हाँ मैं मजदूर हूं ( Yes, I am a Laborer - Hindi Poem)
हाँ मैं मजदूर हूं,
इन तमाम फैक्ट्रियों को चलाने में लगने वाला खून हूं,
लंबी सड़कें, ऊंची इमारतों में पसीना देने के लिए मशहूर हूं,
पहले गोरे अंग्रेजों अब काले अंग्रेजों से मजबूर हूं,
हाँ मैं मजदूर हूं.
कभी वामपंथ कभी राष्ट्रवाद के भाषणों का नूर हूं,
ग़रीबी, भूखमरी, महंगाई से लड़ता हुआ वीर हूं,
अपने परिवार का पेट पालते पालते थक के चूर हूं,
हाँ मै मजदूर हूं.
पहले गिरमिटिया का कंट्राकी, अब देश में ही अपनों से दूर हूं.
पैदल चलकर घर वापसी करता समाज को नामंजूर हूं,
अपनों से मिलने की आस लिए धरती के भगवानों की नजरों से दूर हूं,
हाँ मै मजदूर हूं.
रेल की पटरियों पर कटने,कभी सड़क पे खून से लथपथ गंभीर हूं,
भूखे पेट बीमारी से जूझता हाड़ मांस का सूखा शरीर हूं,
पहले पलायन के लिए, अब घर जाने को में मशगूल हूं,
हाँ मैं मजदूर हूं.
लेकिन फिर बुलाओगे मुझे वापस इसी जमीन पर,
क्योंकि तुम्हारी सपनों के महल का मैं ही नींव हूं,
वापस भी आऊंगा मैं क्यूकिं परिवार के पेट पालने को मजबूर हूं,
देश को बनाने में जान लगा देने में दधीचि जैसा वीर हूं,
हां मैं मजदूर हूं.
*******
रचनाकार - प्रमोद कुमार कुशवाहा
Image Credits : Pixabay
इन तमाम फैक्ट्रियों को चलाने में लगने वाला खून हूं,
लंबी सड़कें, ऊंची इमारतों में पसीना देने के लिए मशहूर हूं,
पहले गोरे अंग्रेजों अब काले अंग्रेजों से मजबूर हूं,
हाँ मैं मजदूर हूं.
कभी वामपंथ कभी राष्ट्रवाद के भाषणों का नूर हूं,
ग़रीबी, भूखमरी, महंगाई से लड़ता हुआ वीर हूं,
अपने परिवार का पेट पालते पालते थक के चूर हूं,
हाँ मै मजदूर हूं.
पहले गिरमिटिया का कंट्राकी, अब देश में ही अपनों से दूर हूं.
पैदल चलकर घर वापसी करता समाज को नामंजूर हूं,
अपनों से मिलने की आस लिए धरती के भगवानों की नजरों से दूर हूं,
हाँ मै मजदूर हूं.
रेल की पटरियों पर कटने,कभी सड़क पे खून से लथपथ गंभीर हूं,
भूखे पेट बीमारी से जूझता हाड़ मांस का सूखा शरीर हूं,
पहले पलायन के लिए, अब घर जाने को में मशगूल हूं,
हाँ मैं मजदूर हूं.
लेकिन फिर बुलाओगे मुझे वापस इसी जमीन पर,
क्योंकि तुम्हारी सपनों के महल का मैं ही नींव हूं,
वापस भी आऊंगा मैं क्यूकिं परिवार के पेट पालने को मजबूर हूं,
देश को बनाने में जान लगा देने में दधीचि जैसा वीर हूं,
हां मैं मजदूर हूं.
*******
नोट - गिरमिटिया गवर्नमेंट शब्द से बना है और कंट्राकी कॉन्ट्रैक्ट शब्द से। गिरमिटिया कंट्राकी वो मजदूर थे जिनको अंग्रेज़ सूरीनाम, मॉरीशस जैसे देशों में खेती मजदूरी करवाने के लिए ले जाते थे जो वापस घर नहीं आ पाते थे।
रचनाकार - प्रमोद कुमार कुशवाहा
Image Credits : Pixabay
For more information & feedback write email at : pktipsonline@gmail.com