मनाली और कुल्लू : हिमाँचल की बर्फीली वादियाँ (Trip to Manali & Kullu - Hindi Blog)
कॉलेज से प्लेसमेंट होने के बाद सभी मित्र अपने अपने सॉफ्टवेयर कंपनी में जुड़ कर काम करने लगे थे। मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्राद्योगिकी संस्थान, इलाहाबाद(NIT Allahabad) में बिताये बेहतरीन वक़्त के बाद नौकरी की भाग दौड़ भरी जिंदगी कुछ अच्छी नहीं लग रही थी। पूरा दिन लैपटॉप, मीटिंग्स और उबाऊ रूटीन में ही बीत रहा था। दिसंबर का महीना खत्म होने को था। ऐसे ही दिन गुज़र रहे थे तभी मेरे कॉलेज के मित्र का फ़ोन आया ही कही घूमने चलते है। सभी मित्र सॉफ्टवेयर कंपनी में थे और सबकी जिंदगी लगभग एक सी ही चल रही थी इसलिए सबको ब्रेक की ज़रूरत थी। आपस में विचार विमर्श के बाद ये तय हुआ की मनाली(Manali) और कुल्लू(Kullu) घूमने चलते हैं। मैं पुणे में जॉब करता था बाकि सभी नोएडा और दिल्ली में, लेकिन मुझे मनाली घूमने और कॉलेज के दोस्तों से मिलने को कोई मौका चाहिए था। मैं पुणे से दिल्ली कुल्लू-मनाली ( Kullu Manali ) जाने के लिए चला आया।
मनाली(Manali) जाने के लिए शाम 5 बजे दिल्ली से बस थी। हम लोग नियत समय पर बस से मनाली की ओर निकले। यह करीब 530 किलोमीटर की यात्रा थी जो पूरी रात की थी। हमारी बस बहुत आरामदायक थी और दिसंबर की जबरदस्त सर्दी में कम्बल ओढ़ना बहुत ही अच्छा लग रहा था। दिल्ली से मनाली का रास्ता कुछ दूर तक तो आसान है लेकिन हिमाचल प्रदेश में प्रवेश करते ही पहाड़ी रास्ता शुरू हो जाता है। तेज़ घुमावदार रास्तों में बस चल रही थी। एक तरफ पहाड़ था तो दूसरी ओर खाई में बहती व्यास नदी(Beas River)। ऐसे रास्तों पे कोई माहिर ड्राइवर ही गाड़ी चल सकता है। इयरफोन में गाना सुनते और सर्दी में कम्बल की गर्मी से कब आँख लग गयी पता ही नहीं चला। जब आँख खुली तो हमारी बस मनाली(Manali) के बस स्टैंड पर पहुंच गयी थी और बस की खिड़की से आने वाली सूरज की किरणे मानो मनाली में हमारा स्वागत कर रही थी। हम लोग बस स्टैंड से सीधे अपने होटल पहुंचे। हमारा होटल बहुत ही सुंदर जगह पर था जहाँ से चारों ओर बर्फ से भरी पहाड़ियां और उस पर लगे देवदार के पेड़ बहुत अच्छे लग रहे थे। नास्ता करने के बाद हम लोगों से सबसे पहले कुल्लू(Kullu) जाने का फैसला किया।
➥ कुल्लू ( मणिकरण साहिब गुरुद्वारा / गर्म पानी का कुंड ) ( Kullu )
मनाली से 42 किलोमीटर दूर कुल्लू जाने के लिए हम लोग एक कार से निकले। कुल्लू(Kullu) में हम लोगों को मणिकरण साहिब गुरुद्वारा(Manikaran Sahib Gurudwara) जाना था जो पार्वती घाटी में व्यास नदी और पार्वती नदी के बीच बसा हुआ है। यहाँ सिख और हिन्दू सभी श्रद्धालुओं का आना जाना लगा रहता है। मणिकरण साहिब गुरुद्वारा सिखों के लिए पवित्र स्थानों में से एक है। कहा जाता हैं कि गुरु नानक ने कभी यहाँ की यात्रा की थी। यहाँ पूरे साल लंगर चलता रहता है। हम लोगों ने भी लंगर का स्वादिष्ट भोजन खाया।
मणिकरण(Manikaran) का मुख्य आकर्षण है यहाँ के गर्म पानी के कुंड(Hot Water Ponds)। 'मणिकरण' का मतलब कान की बाली भी होता है। ऐसी मान्यता है कि यहाँ माता पार्वती के कान की बाली वन विहार करते समय गिर गयी थी जो पाताल लोक में शेषनाग के पास पहुंची। भगवान शिव के क्रोधित होने के कारण शेषनाग ने उस कान की बाली को वापस कर दिया। शेषनाग के फुंकार के कारण धरती में दरार पड़ गयी जहाँ गर्म पानी के स्रोतों का निर्माण हुआ।
वैज्ञानिकों का मानना है कि यहाँ के पानी में सल्फर की मात्रा बहुत ज्यादा होने के कारण पानी गर्म रहता है। हम लोगों ने यहाँ पर कपड़े की थैली में मिलने वाले चने को रस्सी के सहारे कुंड में डाल कर पकाया जो कुछ ही समय में उबल कर खाने लायक हो गया। इस गुरुद्वारा में इस्तेमाल होने वाले चावल को पकाने के लिए इसी कुंड में कच्चे चावल को बड़े बड़े बर्तनों में रखकर पानी में डूबा दिया जाता है। इस कुंड के आस पास नंगे पाँव खड़े रहना मुश्किल हो रहा था क्योंकि फर्श का तापमान बहुत ज्यादा था। यह प्रकृति का एक अनोखा उपहार ही था जो हिमांचल के इन ठंढी वादियों के लोगों को गर्म रखने के लिए मिला हुआ था। पूरे दिन हम लोग मणिकरण(Manikaran) के आस पास ही रहे और शाम को वापस मनाली अपने होटल की ओर जाने लगे।
मनाली से 42 किलोमीटर दूर कुल्लू जाने के लिए हम लोग एक कार से निकले। कुल्लू(Kullu) में हम लोगों को मणिकरण साहिब गुरुद्वारा(Manikaran Sahib Gurudwara) जाना था जो पार्वती घाटी में व्यास नदी और पार्वती नदी के बीच बसा हुआ है। यहाँ सिख और हिन्दू सभी श्रद्धालुओं का आना जाना लगा रहता है। मणिकरण साहिब गुरुद्वारा सिखों के लिए पवित्र स्थानों में से एक है। कहा जाता हैं कि गुरु नानक ने कभी यहाँ की यात्रा की थी। यहाँ पूरे साल लंगर चलता रहता है। हम लोगों ने भी लंगर का स्वादिष्ट भोजन खाया।
मणिकरण(Manikaran) का मुख्य आकर्षण है यहाँ के गर्म पानी के कुंड(Hot Water Ponds)। 'मणिकरण' का मतलब कान की बाली भी होता है। ऐसी मान्यता है कि यहाँ माता पार्वती के कान की बाली वन विहार करते समय गिर गयी थी जो पाताल लोक में शेषनाग के पास पहुंची। भगवान शिव के क्रोधित होने के कारण शेषनाग ने उस कान की बाली को वापस कर दिया। शेषनाग के फुंकार के कारण धरती में दरार पड़ गयी जहाँ गर्म पानी के स्रोतों का निर्माण हुआ।
वैज्ञानिकों का मानना है कि यहाँ के पानी में सल्फर की मात्रा बहुत ज्यादा होने के कारण पानी गर्म रहता है। हम लोगों ने यहाँ पर कपड़े की थैली में मिलने वाले चने को रस्सी के सहारे कुंड में डाल कर पकाया जो कुछ ही समय में उबल कर खाने लायक हो गया। इस गुरुद्वारा में इस्तेमाल होने वाले चावल को पकाने के लिए इसी कुंड में कच्चे चावल को बड़े बड़े बर्तनों में रखकर पानी में डूबा दिया जाता है। इस कुंड के आस पास नंगे पाँव खड़े रहना मुश्किल हो रहा था क्योंकि फर्श का तापमान बहुत ज्यादा था। यह प्रकृति का एक अनोखा उपहार ही था जो हिमांचल के इन ठंढी वादियों के लोगों को गर्म रखने के लिए मिला हुआ था। पूरे दिन हम लोग मणिकरण(Manikaran) के आस पास ही रहे और शाम को वापस मनाली अपने होटल की ओर जाने लगे।
➥ मनाली ( Manali )
पहले दिन कुल्लू घूमने के बाद मनाली(Manali) हम लोगों को अगले दो दिन मनाली में घूमना था। सुबह उठ कर हम लोग अपने होटल के परिसर में बने लॉन में आये। यह एक खुला जगह था। पर्वतीय स्थानों की एक ख़ास बात यह होती है कि तापमान चाहें जितना भी कम क्यों न हो धूप अच्छी निकलती है। सुबह की धूप में चाय की प्याली लिए लॉन में सभी दोस्तों के साथ सामने दिखने वाले बर्फीले पहाड़ों को देख कर हम लोग तृप्त हो रहे थे। होटल के पास ही सेव के बगीचें थे जिसके पेड़ पर बर्फ के कुछ टुकड़े गिरे थे।
मनाली(Manali) में घूमने के लिए बहुत सारे अच्छे स्थान है जिसके बारे में नीचे विस्तार से लिख रहा हूँ :
मनाली(Manali) में घूमने के लिए बहुत सारे अच्छे स्थान है जिसके बारे में नीचे विस्तार से लिख रहा हूँ :
➣ सोलंग वैली ( Solang Valley )
सोलंग घाटी(Solang Valley) मनाली का मुख्य आकर्षण है। मनाली शहर से मात्र 14 किलोमीटर दूर स्थित सोलंग घाटी जाने के लिए हम लोग सुबह 10 बजे अपने कार से निकले। रास्ते में हम लोग एक दुकान पर रुके जहाँ बर्फ के घाटी में घूमने खेलने के लिए पहने जाने वाले एक विशेष परिधान किराये पे मिल रहा था। इस परिधान की ख़ास बात ये होती है कि यह ऊपर से नीचे तक आपके शरीर को सर्दी से बचाये रखता है और बर्फ के टुकड़ों को अंदर नहीं जाने देता हैं। हाथ के ग्लव्स, बूट और विशेष कपड़ों को पहन कर हम लोग थोड़ी देर में सोलंग घाटी पहुंचे।
सोलंग घाटी(Solang Valley) बहुत ही खूबसूरत घाटी है जो चारों ओर से पहाड़ों से घिरी हुई है। दिसंबर का महीना होने के कारण कुछ दिन पहले ही बर्फ़बारी होने की वजह से पूरी घाटी बर्फ की सफ़ेद चादर से ढकी हुई थी। पहाड़ों पर लगे देवदार के पेड़ बहुत ही अच्छा नज़ारा बना रहे थे। कुछ देर तक तो ऐसा लग रहा था कि जैसे किसी 3 डी फिल्म को देख रहा हूँ क्योंकि ऐसा नज़ारा या तो फिल्मों में देखा था यहाँ किसी दिवार पे लगें पोस्टर में। सोलंग घाटी में बहुत सारे लोग मौज़ मस्ती कर रहे थे। हम लोग भी घाटी से ऊपर पहाड़ के तरफ जाने लगे जहाँ बर्फ ज्यादा अच्छी दिख रही थी। बर्फ पर चलना थोड़ा मुश्किल हो रहा था क्योंकि कही सख्त और कहीं मुलायम होने के कारण हमारे पैर जमीन में धस जा रहे थे। बर्फ के ढलान में हम लोगों ने ताजमहल का मॉडल बनाया और पेड़ की टहनियों से अच्छे से सजाया। बर्फ के गोलों को एक दूसरे पर फेकना भी यहाँ एक खेल ही है। घाटी में मौजूद सभी लोग बहुत मौज़ मस्ती कर रहे थे। कोई स्नो स्कीइंग(Snow Skiing) कर रहा था तो कोई पैराग्लाइडिंग(Paragliding), कोई स्नो बाइक(Snow Bike) की सवारी तो कोई बर्फ के बने सुन्दर ढांचों के सामने खड़े होकर फोटो खिचवा रहा था। हम लोगों ने यॉक(Yalk) पर बैठकर फोटो खिचवाया।
सोलंग घाटी में चारों ओर बर्फ से भरे नज़ारों और सूरज की सुकून देने वाली गर्म किरणों के नीचे बैठकर चाय पीने में बहुत ही आनंद आ रहा था। पहाड़ी ढलानों में बर्फ पर सरक कर नीचे उतरना भी एक अच्छा अनुभव था। पूरे दिन सोलंग घाटी में हम लोग मौज़ मस्ती करते रहे। शाम होने पर हम लोग वापस अपने होटल आये। यह दिन हमेशा के लिओए यादगार बन गया था क्योंकि बर्फीले वादियों में घूमने का ये हमारा पहला अनुभव था।
सोलंग वैली(Solang Valley) में सर्दी में जाना ज्यादा अच्छा विकल्प है क्योंकि गर्मी में यहाँ बर्फ नहीं रहता है। अगर आप गर्मी में जा रहे है तो बर्फ का लुफ्त उठाने के लिए आपको रोहतांग दर्रा जाना होगा।
➣ रोहतांग दर्रा ( Rohtang Pass )
यह हिमालय का प्रमुख दर्रा है जो मनाली(Manali) से 51 किलोमीटर दूर लेह - मनाली के मुख्य मार्ग पर पड़ता है। यह दर्रा लाहौल स्पीति(Lahaul Spiti) और लेह(Leh) को मनाली से जोड़ता है। यहाँ पूरे वर्ष बर्फ की चादर बिछी रहती है। यही पर सुपर हिट बॉलीवुड फिल्म 'जब वी मेट ' का गाना 'ये इश्क़ हाए....' की शूटिंग हुई थी। रोहतांग दर्रे(Rohtang Pass) से हिमालय पर्वतमाला(Himalaya Ranges) का विहंगम दृश्य दिखता है। यहाँ पर स्नो स्कूटर और स्नो स्की करने के लिए देश विदेश से लोग आते है। रोहतांग दर्रा पूरे साल नहीं खुला रहता है। आप यहाँ मई से अक्टूबर के बीच ही जा सकते है क्योंकि बाकी समय भारी बर्फ़बारी के कारण देश के बाकी हिस्सों से यह कट जाता है। चूँकि हम लोग दिसंबर के महीने में मनाली गए थे इसलिए रोहतांग दर्रे का मार्ग बंद था। हम लोगों को बर्फ का आनंद सोलंग घाटी में ही मिल चुका था।
➣ हडिम्बा मंदिर ( Hadimba Temple )
चारों तरफ से देवदार के पेड़ों से घिरे हडिम्बा मंदिर(Hadimba Temple) महाभारत के भीम की पत्नी और घटोत्कच की माँ हिडिम्बा को समर्पित है। यह एक गुफा मंदिर है जिसमे कोई मूर्ति नहीं है बल्कि पत्थर के पदचिन्ह है जिसकी पूजा की जाती है। इस मंदिर का निर्माण पैगोडा शैली में किया गया है जो बाकी के मंदिरों से अलग और अत्यंत सुन्दर है। यह देवदार के लकड़ी से बना हुआ 4 मंजिली मंदिर है। इस मंदिर में पहले जानवरों की बलि दी जाती थी जो अब बंद कर दिया गया है। मंदिर के दीवारों में जानवरों के हड्डियों के कंकाल लगे हुए है। हर साल सावन के महीने में यहाँ उत्सव का आयोजन होता है। मंदिर परिसर के आस पास का इलाका बहुत ही दर्शनीय है। हम लोग यहाँ पर काफी देर तक रहे।
➣ क्लब हाउस ( एडवेंचर पार्क ) ( Club House Adventure Park )
हिमांचल प्रदेश के पर्यटन विभाग द्वारा बनाया गया क्लब हाउस(Club House) में इंडोर और आउटडोर खेलों और क्रियाओं का आप आनंद से सकते है। बच्चों के लिए ये पसंदीदा जगह है। इस क्लब हाउस के किनारे से व्यास नदी(Beas River) जाती है। यहाँ एडवेंचर गतिविधियों में रस्सी के सहारे नदी को पार करना है। हम लोग भी इस कार्य को करने के लिए तैयार थे। व्यास नदी का आधा पानी कम तापमान के कारण जमा हुआ था और बर्फ के टुकड़े पानी में तैर रहे थे। एक लचीले से रस्सी पर लटककर इस नदी को पार करना था। हम लोग बारी बारी से इस कार्य का मज़ा लेने लगे। जब भी कोई मित्र बीच नदी के ऊपर पहुँचता तो सब मिलकर उस लचीले रस्सी को जोर जोर से हिलाने लगते जो की इस एडवेंचर का ही एक भाग था। रस्सी हिलने के कारण कभी कभी हमारा शरीर व्यास नदी के ठंढे पानी को छू लेता था जिससे मज़ा भी आ रहा था और ठंडा भी लग रहा था। हम सबने इस खेल का जम कर मज़ा लिया।
➣ वशिष्ठ मंदिर (Vashisht Temple )
यह मनाली के प्रमुख स्थानों में से एक है। माना जाता है की यह मंदिर 4000 साल पुराना है। सुन्दर नक्काशीदार लकड़ी से बना वशिष्ट मंदिर(Vashisht Temple) बहुत ही सुन्दर है। भगवान राम के कुलगुरु ऋषि वशिष्ट समर्पित इस मंदिर का इंटीरियर भी शानदार पेंटिंग से सजाया गया है। इस मंदिर का मुख्य आकर्षण यहाँ का गर्मजल के प्राकृतिक स्रोत है। यह माना जाता है कि इन गर्म पानी के जलाशय में नहाने से त्वचा सम्बंधित बीमारियां दूर हो जाती है। मंदिर के अंदर ऋषि वशिष्ट की काले पत्थर की मूर्ति स्थापित है। वशिष्ट मंदिर के पास ही बहुत सारे रेस्तरां है जहाँ आप विभिन्न प्रकार के भोजन का मज़ा ले सकते है। यहाँ पर हम लोगों ने खरगोश को हाथ में लेकर फोटो खिचवाया जो की बहुत सुन्दर दिख रहा थे। खरगोश के बाल काफी लम्बे और मुलायम थे जो मैदानी इलाकों में पाए जाने वाले खरगोशों से अलग थे।
➣ तिब्बती बुद्धिस्ट मॉनस्टरी ( Tibetan Buddhist Monastery )
यह मनाली बस स्टैंड के बिलकुल पास में है। यह काफी प्राचीन और प्रसिद्ध मॉनस्टरी(Monastery) है। तिब्बती लोगों की मनाली में और इसके आस पास के इलाकों में काफी संख्या है जिनके द्वारा ये मठ बनाये गए हैं। मॉनस्टरी देखने में बहुत सुंदर और आकर्षक है। मॉनस्टरी के अंदर भगवान बुद्ध की भव्य मूर्ति है। इसके पास ही मनाली का मुख्य मार्केट है जहाँ आप हस्तकला से निर्मित वस्तुएँ खरीद सकते हैं।
➣ व्यास नदी में राफ्टिंग ( Rafting in Beas River )
कुल्लू(Kullu) में रिवर राफ्टिंग(River Rafting) एक बहुत ही अच्छा अनुभव है। एडवेंचर खेलों के शौक़ीन लोगों के लिए यह बेहतरीन जगह है। लगभग 14 किलोमीटर की लम्बी दूरी तक व्यास नदी के तेज़ धार और पत्थरों से टकराते हुए राफ्टिंग करने का अपना ही रोमांच है। राफ्टिंग मार्ग पूरी तरह से पहाड़ों और जंगलों से घिरा हुआ है। राफ्टिंग करने के लिए कुल्लू(Kullu) में गर्मी के मौसम में आना होगा क्योंकि सर्दियों में व्यास नदी का पानी बर्फ से जमा रहता है और राफ्टिंग बंद रहता है। हम लोग दिसंबर में जाने के कारण राफ्टिंग नहीं कर पाए थे लेकिन अपने मित्र के फोटो और वीडियो सन्दर्भ के लिए यहाँ अपलोड किये है।
सोलंग घाटी(Solang Valley) मनाली का मुख्य आकर्षण है। मनाली शहर से मात्र 14 किलोमीटर दूर स्थित सोलंग घाटी जाने के लिए हम लोग सुबह 10 बजे अपने कार से निकले। रास्ते में हम लोग एक दुकान पर रुके जहाँ बर्फ के घाटी में घूमने खेलने के लिए पहने जाने वाले एक विशेष परिधान किराये पे मिल रहा था। इस परिधान की ख़ास बात ये होती है कि यह ऊपर से नीचे तक आपके शरीर को सर्दी से बचाये रखता है और बर्फ के टुकड़ों को अंदर नहीं जाने देता हैं। हाथ के ग्लव्स, बूट और विशेष कपड़ों को पहन कर हम लोग थोड़ी देर में सोलंग घाटी पहुंचे।
सोलंग घाटी(Solang Valley) बहुत ही खूबसूरत घाटी है जो चारों ओर से पहाड़ों से घिरी हुई है। दिसंबर का महीना होने के कारण कुछ दिन पहले ही बर्फ़बारी होने की वजह से पूरी घाटी बर्फ की सफ़ेद चादर से ढकी हुई थी। पहाड़ों पर लगे देवदार के पेड़ बहुत ही अच्छा नज़ारा बना रहे थे। कुछ देर तक तो ऐसा लग रहा था कि जैसे किसी 3 डी फिल्म को देख रहा हूँ क्योंकि ऐसा नज़ारा या तो फिल्मों में देखा था यहाँ किसी दिवार पे लगें पोस्टर में। सोलंग घाटी में बहुत सारे लोग मौज़ मस्ती कर रहे थे। हम लोग भी घाटी से ऊपर पहाड़ के तरफ जाने लगे जहाँ बर्फ ज्यादा अच्छी दिख रही थी। बर्फ पर चलना थोड़ा मुश्किल हो रहा था क्योंकि कही सख्त और कहीं मुलायम होने के कारण हमारे पैर जमीन में धस जा रहे थे। बर्फ के ढलान में हम लोगों ने ताजमहल का मॉडल बनाया और पेड़ की टहनियों से अच्छे से सजाया। बर्फ के गोलों को एक दूसरे पर फेकना भी यहाँ एक खेल ही है। घाटी में मौजूद सभी लोग बहुत मौज़ मस्ती कर रहे थे। कोई स्नो स्कीइंग(Snow Skiing) कर रहा था तो कोई पैराग्लाइडिंग(Paragliding), कोई स्नो बाइक(Snow Bike) की सवारी तो कोई बर्फ के बने सुन्दर ढांचों के सामने खड़े होकर फोटो खिचवा रहा था। हम लोगों ने यॉक(Yalk) पर बैठकर फोटो खिचवाया।
सोलंग घाटी में चारों ओर बर्फ से भरे नज़ारों और सूरज की सुकून देने वाली गर्म किरणों के नीचे बैठकर चाय पीने में बहुत ही आनंद आ रहा था। पहाड़ी ढलानों में बर्फ पर सरक कर नीचे उतरना भी एक अच्छा अनुभव था। पूरे दिन सोलंग घाटी में हम लोग मौज़ मस्ती करते रहे। शाम होने पर हम लोग वापस अपने होटल आये। यह दिन हमेशा के लिओए यादगार बन गया था क्योंकि बर्फीले वादियों में घूमने का ये हमारा पहला अनुभव था।
सोलंग वैली(Solang Valley) में सर्दी में जाना ज्यादा अच्छा विकल्प है क्योंकि गर्मी में यहाँ बर्फ नहीं रहता है। अगर आप गर्मी में जा रहे है तो बर्फ का लुफ्त उठाने के लिए आपको रोहतांग दर्रा जाना होगा।
➣ रोहतांग दर्रा ( Rohtang Pass )
यह हिमालय का प्रमुख दर्रा है जो मनाली(Manali) से 51 किलोमीटर दूर लेह - मनाली के मुख्य मार्ग पर पड़ता है। यह दर्रा लाहौल स्पीति(Lahaul Spiti) और लेह(Leh) को मनाली से जोड़ता है। यहाँ पूरे वर्ष बर्फ की चादर बिछी रहती है। यही पर सुपर हिट बॉलीवुड फिल्म 'जब वी मेट ' का गाना 'ये इश्क़ हाए....' की शूटिंग हुई थी। रोहतांग दर्रे(Rohtang Pass) से हिमालय पर्वतमाला(Himalaya Ranges) का विहंगम दृश्य दिखता है। यहाँ पर स्नो स्कूटर और स्नो स्की करने के लिए देश विदेश से लोग आते है। रोहतांग दर्रा पूरे साल नहीं खुला रहता है। आप यहाँ मई से अक्टूबर के बीच ही जा सकते है क्योंकि बाकी समय भारी बर्फ़बारी के कारण देश के बाकी हिस्सों से यह कट जाता है। चूँकि हम लोग दिसंबर के महीने में मनाली गए थे इसलिए रोहतांग दर्रे का मार्ग बंद था। हम लोगों को बर्फ का आनंद सोलंग घाटी में ही मिल चुका था।
➣ हडिम्बा मंदिर ( Hadimba Temple )
चारों तरफ से देवदार के पेड़ों से घिरे हडिम्बा मंदिर(Hadimba Temple) महाभारत के भीम की पत्नी और घटोत्कच की माँ हिडिम्बा को समर्पित है। यह एक गुफा मंदिर है जिसमे कोई मूर्ति नहीं है बल्कि पत्थर के पदचिन्ह है जिसकी पूजा की जाती है। इस मंदिर का निर्माण पैगोडा शैली में किया गया है जो बाकी के मंदिरों से अलग और अत्यंत सुन्दर है। यह देवदार के लकड़ी से बना हुआ 4 मंजिली मंदिर है। इस मंदिर में पहले जानवरों की बलि दी जाती थी जो अब बंद कर दिया गया है। मंदिर के दीवारों में जानवरों के हड्डियों के कंकाल लगे हुए है। हर साल सावन के महीने में यहाँ उत्सव का आयोजन होता है। मंदिर परिसर के आस पास का इलाका बहुत ही दर्शनीय है। हम लोग यहाँ पर काफी देर तक रहे।
➣ क्लब हाउस ( एडवेंचर पार्क ) ( Club House Adventure Park )
हिमांचल प्रदेश के पर्यटन विभाग द्वारा बनाया गया क्लब हाउस(Club House) में इंडोर और आउटडोर खेलों और क्रियाओं का आप आनंद से सकते है। बच्चों के लिए ये पसंदीदा जगह है। इस क्लब हाउस के किनारे से व्यास नदी(Beas River) जाती है। यहाँ एडवेंचर गतिविधियों में रस्सी के सहारे नदी को पार करना है। हम लोग भी इस कार्य को करने के लिए तैयार थे। व्यास नदी का आधा पानी कम तापमान के कारण जमा हुआ था और बर्फ के टुकड़े पानी में तैर रहे थे। एक लचीले से रस्सी पर लटककर इस नदी को पार करना था। हम लोग बारी बारी से इस कार्य का मज़ा लेने लगे। जब भी कोई मित्र बीच नदी के ऊपर पहुँचता तो सब मिलकर उस लचीले रस्सी को जोर जोर से हिलाने लगते जो की इस एडवेंचर का ही एक भाग था। रस्सी हिलने के कारण कभी कभी हमारा शरीर व्यास नदी के ठंढे पानी को छू लेता था जिससे मज़ा भी आ रहा था और ठंडा भी लग रहा था। हम सबने इस खेल का जम कर मज़ा लिया।
➣ वशिष्ठ मंदिर (Vashisht Temple )
यह मनाली के प्रमुख स्थानों में से एक है। माना जाता है की यह मंदिर 4000 साल पुराना है। सुन्दर नक्काशीदार लकड़ी से बना वशिष्ट मंदिर(Vashisht Temple) बहुत ही सुन्दर है। भगवान राम के कुलगुरु ऋषि वशिष्ट समर्पित इस मंदिर का इंटीरियर भी शानदार पेंटिंग से सजाया गया है। इस मंदिर का मुख्य आकर्षण यहाँ का गर्मजल के प्राकृतिक स्रोत है। यह माना जाता है कि इन गर्म पानी के जलाशय में नहाने से त्वचा सम्बंधित बीमारियां दूर हो जाती है। मंदिर के अंदर ऋषि वशिष्ट की काले पत्थर की मूर्ति स्थापित है। वशिष्ट मंदिर के पास ही बहुत सारे रेस्तरां है जहाँ आप विभिन्न प्रकार के भोजन का मज़ा ले सकते है। यहाँ पर हम लोगों ने खरगोश को हाथ में लेकर फोटो खिचवाया जो की बहुत सुन्दर दिख रहा थे। खरगोश के बाल काफी लम्बे और मुलायम थे जो मैदानी इलाकों में पाए जाने वाले खरगोशों से अलग थे।
➣ तिब्बती बुद्धिस्ट मॉनस्टरी ( Tibetan Buddhist Monastery )
यह मनाली बस स्टैंड के बिलकुल पास में है। यह काफी प्राचीन और प्रसिद्ध मॉनस्टरी(Monastery) है। तिब्बती लोगों की मनाली में और इसके आस पास के इलाकों में काफी संख्या है जिनके द्वारा ये मठ बनाये गए हैं। मॉनस्टरी देखने में बहुत सुंदर और आकर्षक है। मॉनस्टरी के अंदर भगवान बुद्ध की भव्य मूर्ति है। इसके पास ही मनाली का मुख्य मार्केट है जहाँ आप हस्तकला से निर्मित वस्तुएँ खरीद सकते हैं।
➣ व्यास नदी में राफ्टिंग ( Rafting in Beas River )
कुल्लू(Kullu) में रिवर राफ्टिंग(River Rafting) एक बहुत ही अच्छा अनुभव है। एडवेंचर खेलों के शौक़ीन लोगों के लिए यह बेहतरीन जगह है। लगभग 14 किलोमीटर की लम्बी दूरी तक व्यास नदी के तेज़ धार और पत्थरों से टकराते हुए राफ्टिंग करने का अपना ही रोमांच है। राफ्टिंग मार्ग पूरी तरह से पहाड़ों और जंगलों से घिरा हुआ है। राफ्टिंग करने के लिए कुल्लू(Kullu) में गर्मी के मौसम में आना होगा क्योंकि सर्दियों में व्यास नदी का पानी बर्फ से जमा रहता है और राफ्टिंग बंद रहता है। हम लोग दिसंबर में जाने के कारण राफ्टिंग नहीं कर पाए थे लेकिन अपने मित्र के फोटो और वीडियो सन्दर्भ के लिए यहाँ अपलोड किये है।
इस प्रकार हमारा मनाली(Manali) और कुल्लू(Kullu) का टूर बहुत ही अच्छे अनुभव और रोमांच से भरपूर था। दोस्तों के साथ कॉलेज के बाद समय बिताने का एक और मौका मिला जिसका हम लोगों ने खूब आनंद लिया। बर्फ में मौज़ मस्ती करने और हिमांचल से सुन्दर नज़ारों को देखने के लिए परिवार या दोस्तों के साथ मनाली और कुल्लू एक बार जरूर जाना चाहिए।
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➜मनाली / कुल्लू में ये करना ना भूलें : सोलंग वैली में पैराग्लाइडिंग, व्यास नदी में राफ्टिंग (केवल गर्मियों में ), रोहतांग में स्नो स्कीईंग (केवल गर्मियों में), मणिकरण साहिब में गर्म पानी में चना पकाना, याक की सवारी, फोटोग्राफी।
➜मनाली / कुल्लू कैसे पहुँचे : सबसे निकटतम हवाई अड्डा 'भुंटार' में है जो मनाली से 50 किलोमीटर दूर है। सबसे पास का रेलवे स्टेशन 'जोगिन्दरनगर' है जहाँ के लिए चंडीगढ़ और अम्बाला से ट्रेन आसानी से मिल जाता है। सबसे अच्छा विकल्प सड़कमार्ग का है। चंडीगढ़ और दिल्ली से कार या बस से मनाली आराम से जाया जा सकता है।
➜मनाली / कुल्लू जाने सबसे अच्छा समय : अगर आपको सर्दी का मौसम पसंद है तो मनाली जाने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से फरवरी का है। सर्दी में यहाँ का तापमान 0 डिग्री से भी कम हो जाता है। जनवरी में आपको बर्फ़बारी भी देखने को मिल जायेगा। लेकिन सर्दी के मौसम में रोहतांग दर्रा और रिवर राफ्टिंग बंद रहता है। इसके लिए आपको गर्मी के मौसम में मार्च से जून के बीच जाना होगा जब यहाँ का मौसम बहुत ही सुहावना होता है।
➜मनाली / कुल्लू जाने में लगने वाला समय : 4 दिन / 3 रात
➜मनाली / कुल्लू जाने में लगने वाला समय : 4 दिन / 3 रात
Video Links Below
1. Fun with Friends at Solang Valley, Manali
2. Playing with Snow at Solang Valley, Manali
3. Beas River Crossing at Club House, Manali
4. Rafting in Beas River, Kullu
5. Hot Water Spring in Manikaran, Kullu
6. Sliding on Snowy Slope, Manali
7. Snowy Hills, Manali
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