मैं सत्य हूँ (I am Truth - Hindi Poem)
तुम चाहो तो मुझे मसल दो झूठ के दम पर,
लेकिन मैं बिखर जाऊंगा ज़मीं पर चींटियों की तरह,
फिर मसलना कठिन होगा, क्योंकि मैं सत्य हूँ।
हो सकता है तुम मुझे जकड़ लो फंदों में,
पर फिर भी मैं आसमान में फैल जाऊंगा परिंदों की तरह,
मुश्किल होगा पकड़ना फिर से, क्योंकि मैं सत्य हूँ।
मुझे कैद कर सकते हो जाल बिछाकर धोखे से,
मैं नज़र आऊंगा समुद्र में झुंड मछलियों की तरह,
आसान नही होगा कैद कर पाना, क्योंकि मैं सत्य हूँ।
तुम भले ही बादलों से ढक दो मेरे अस्तित्व को,
कुछ देर से ही सही नज़र आऊंगा तारों की तरह,
नही नकार सकते मेरे अस्तित्व को, क्योंकि मैं सत्य हूँ।
मैं अविचल हूं हिमालय की तरह, अविरल हूं झरने की तरह,
निर्मल हूं गंगा की तरह, निरंतर हूं लहरों की तरह,
अंत में जीत मेरी ही निश्चित है, क्योंकि मैं सत्य हूँ।
********
रचनाकार - प्रमोद कुमार कुशवाहा
Image Credits : Pixabay
For more information & feedback write email at : pktipsonline@gmail.com