धैर्य रखने से मंज़िल मिला करता है (Patience - Hindi Poem)
जब कठिन वक्त में मन बिखर जाता है,
अपने मंजिल को पाने निकल पड़ता हैं,
वक्त सब्र का ज़रा इम्तेहान लेता है,
धैर्य रखने से मंज़िल मिला करता है।
जैसे नदियों का सागर से मिलने निकलना,
कभी घाटों या जंगल से दो चार होना,
फिर टेढ़े से रस्तों से गुजरना होता है,
धैर्य रखने से मंज़िल मिला करता है।
जैसे चींटी को चीनी के दाने का मिलना,
है भारी बहुत लेकिन कंधे पे ढोना,
यूं मुश्किल से घर को जाना होता है
धैर्य रखने से मंज़िल मिला करता हैं।
जैसे बगुले का पानी में नजरें जमाना,
जल में छोटी सी मछली पे आंखे गड़ाना,
ऐसे कर्मों का फल रब अदा करता है
धैर्य रखने से मंज़िल मिला करता हैं।
मेरे व्याकुल से मन ज़रा रुक तो सही,
सब मिलेगा तुम्हे इतनी जल्दी नहीं,
जितना सोना तपेगा खरा होता है,
धैर्य रखने से मंज़िल मिला करता है।
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रचनाकार - प्रमोद कुमार कुशवाहा
Image Credits : Pixabay
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