राष्ट्रीय राजमार्ग 1 : श्रीनगर से लेह की यात्रा(Travelling on NH-1 from Srinagar to Leh - Hindi Blog)

राष्ट्रीय राजमार्ग-1(National Highway-1 or NH-1) के बारे में जबसे किताबों में पढ़ा था और यूट्यूब पर वीडियो देखा था तभी मुझे इस राष्ट्रीय राजमार्ग की सुंदरता को अपने आँखों से देखना था। वर्ष 1999 में कारगिल युद्ध के समय पाकिस्तान ने सामरिक(Tactical) दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण इस राष्ट्रीय राजमार्ग(NH-1) को अपने नियंत्रण में लेने के लिए लद्दाख के कारगिल(Kargil) में हमला किया था। और आस पास के पहाड़ों पर धोखे से घुसपैठ करके कब्ज़ा कर लिया था। बाद में भारतीय सेना(Indian Army) ने अपने शौर्य और पराक्रम से इन घुसपैठियों को परास्त करके NH-1 को सुरक्षित कर लिया था। श्रीनगर(Srinagar) से लेह(Leh) की यात्रा हम लोगों को NH-1 पर कार द्वारा पूरा करना था। कश्मीर(Kashmir) में हमारा आखिरी पड़ाव सोनमर्ग(Sonmarg) NH-1 पर ही श्रीनगर(Srinagar) से लगभग 81 किलोमीटर दूर स्थित है। श्रीनगर(Srinagar) से यह राजमार्ग(Highway) पहाड़ों, जंगलों, नदियों, पुलों और दर्रों से होकर गुज़रता है। हम लोग सोनमर्ग(Sonmarg) पहुँच कर थाजीवास ग्लेशियर(Thajiwas Glacier) देखने गए। सोनमर्ग(Sonmarg) बेहद खूबसूरत स्थान है। हम लोग सोनमर्ग(Sonmarg) में रात को रुके थे। 

सुबह सोनमर्ग(Sonmarg) से NH - 1 पर आगे बढ़ने लगे। हाईवे के साथ में सिंध नदी(Sindh River) बह रही थी। सिंध नदी(Sindh River) को लोग गलती से सिंधु नदी(Indus River) समझ लेते हैं जबकि ये दोनों अलग अलग नदियाँ हैं। कुछ देर बाद रास्ते में पहाड़ों की तलहटी में बालटाल(Baltal) क़स्बा दिखा। बालटाल(Baltal) से अमरनाथ की पवित्र गुफा की यात्रा शुरू होता है। भारतीय सेना के गाड़ियों का लंबा काफिला भी हमारे आगे चल रहा था।  हम लोगों ने युद्ध टैंक भी देखा जो ट्रकों पर रखकर ले जाया जा रहा था। थोड़ी देर में हम लोग जम्मू कश्मीर(Jammu Kashmir) को पार करके लद्दाख(Ladakh) के सीमा में प्रवेश कर चुके थे। पहाड़ों के रंग बदलते जा रहे थे। जो पहाड़ कश्मीर(Kashmir) में देवदार और विभिन्न पेड़ों से भरे हुए हरे दिख रहे थे वो लद्दाख की तरफ बढ़ते हुए सूखे और पथरीले होने लगे थे। 

कुछ देर बाद हम लोग ज़ोजिला(Zoji La) पहुँच गए। 'ला' का लद्दाख में मतलब होता है दर्रा(Pass)। ज़ोजिला(Zoji La) हिमालय पर्वत का एक प्रमुख पर्वतीय दर्रा(Mountain Pass) है जो लद्दाख के कारगिल (Kargil) जिले के द्रास(Drass) में स्थित है। इस दर्रे(Pass) को लद्दाख़ के प्रवेश द्वार के नाम से जाना जाता है। NH-1 पर  ज़ोजिला(Zoji La) में हम लोग कुछ देर जलपान करने के लिए रुके। यहाँ पहाड़ों पर बर्फ होने के कारण सर्दी लग रहा था। पहाड़ों पर भारतीय सेना के जवान पूरी मुस्तैदी से इस हाईवे पर नज़र रख रहे थे। यहाँ के हवा में ऑक्सीजन का स्तर(Oxygen Level) बहुत कम था और हमने गैस लाइटर जलाने की नाकाम कोशिश करके इसे देखा भी था। कुछ देर में हम लोग आगे बढ़ने लगे। लद्दाख के मौसम में यह ख़ास बात है कि बहुत ऊँचाई पर स्थित होने की वजह से धूप काफी चटक और तेज़ होती है। मौसम बिलकुल साफ रहता है और आसमान में बादल कम होने से बहुत ज्यादा नीला दिखता है। 

सोनमर्ग(Sonmarg) से कारगिल(Kargil) की लगभग 123 किलोमीटर की लम्बी दूरी तय करने के बाद हम लोग कारगिल(Kargil) में पूर्व निर्धारित रंगयुल रेसोर्ट(Rangyul Resort) पहुँचे। यह NH-1 के किनारे पर भी बना बहुत सुन्दर रेसोर्ट था। इस रेसोर्ट में चारों ओर फूलों के पौधे लगे थे। शांतिपूर्ण वातावरण, सुन्दर फूलों और लकड़ी के बने आकर्षक कमरों के कारण मुझे यह रेसोर्ट बेहद पसंद आया। ऊँचे पथरीले पहाड़ों के बीच हरियाली से भरा यह स्थान बहुत अच्छा लगा। इस रेसोर्ट के लॉन में बैठ कर देर रात तक हम लोग बाते करते रहे। थकान के कारण नींद आने लगी और हम लोग भी सोने चले गए। 

सुबह नाश्ता करने के बाद हम लोग अपने NH-1 की यात्रा के अगले पड़ाव लेह(Leh) जाने के लिए निकले। हमारे ड्राइवर गौहर शाह ने कारगिल(Kargil) में NH-1 पर उन स्थानों को दिखाया जहाँ पर कारगिल युद्ध के समय पाकिस्तान के टैंकों के गोले गिरे थे। उस समय इस हाईवे की सुरक्षा के लिए इन जगहों पर पत्थर के ऊँचे दिवार बनाये गए थे जो अभी भी वैसे ही खड़े हैं। गौहर शाह ने बताया कैसे सामने वाले पहाड़ों पर पाकिस्तानी घुसपैठिये छिपकर इस सामरिक महत्वपूर्ण के मार्ग NH-1 से सेना तथा अन्य गाड़ियों को निशाना बना रहे थे। कुछ दूर चलने के बाद हम लोग नामिका ला(Namika La) दर्रा पहुँचे। यह हिमालय के जांस्कर रेंज(Zanskar Range) में स्थित है। यहाँ पर हम लोगों ने भारतीय सेना के जवानों के साथ फोटो खिंचवाया। 

नामिका ला(Namika La) दर्रे से आगे बढ़ने पर फाटुला चोटी(Fatula Top) आया। यह स्थान श्रीनगर(Srinagar) से लेह(Leh) के बीच NH-1 पर सबसे ऊँचाई वाला स्थान है। लद्दाख(Ladakh) का मौसम बहुत चमकीला होने की वजह से पहाड़ और घाटियाँ बहुत साफ तथा अच्छे नज़र आ रहे थे। आगे रास्ता बहुत सीधा और समतल था। दूर तक पथरीले मैदान और उसके बीच सीधी लकीर जैसी सड़क बहुत बढ़िया नज़ारा बना रही थी।  हम लोग इस जगह के बारे में पहले भी सुन चुके थे। कार को किनारे रोक कर इस सीधी सड़क पर फोटो खिंचवाया। यह स्थान लद्दाख(Ladakh) आने वाले लोगों में बहुत लोकप्रिय है। कुछ देर बाद हम लोग लेह(Leh) शहर के पास पहुँच गए। कारगिल(Kargil) से लेह(Leh) की दूरी लगभग 217 किलोमीटर है। लेह के पास ही NH-1 पर मैग्नेटिक हिल(Magnetic Hill) और प्रसिद्ध गुरुद्वारा पत्थर साहिब(Gurudwara Pathar Sahib) स्थित है। 

जम्मू कश्मीर(Jammu Kashmir) की राजधानी श्रीनगर(Srinagar) से लद्दाख(Ladakh) की राजधानी लेह(Leh) तक की लगभग 421 किलोमीटर की दूरी सोनमर्ग(Sonmarg) और कारगिल(Kargil) होते हुए 3 दिन में पूरी हुई। राष्ट्रीय राजमार्ग-1(National Highway-1 or NH-1) के बारे में जैसा सुना था उससे ज्यादा अच्छा सफर रहा। सीमा सड़क संगठन(Border Road Organization or BRO) का इतने दुर्गम क्षेत्रों में इतना बढ़िया हाईवे बनाने का काम तारीफ करने लायक है। NH-1 सपनों का हाईवे है जहाँ हर कोई मोटरसाइकिल या कार से सफर पूरा करना चाहता है। अगर आप लद्दाख(Ladakh) आ रहे है तो श्रीनगर(Srinagar) से लेह(Leh) तक की यात्रा सड़कमार्ग से NH-1 पर ही पूरा कीजिये। यकीन मानिए आपकी यह यात्रा बेहद सुन्दर और रोमांच से भरपूर होगी। 

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राष्ट्रीय राजमार्ग - 1(NH-1) की यात्रा में ये करना ना भूलें  सोनमर्ग में थाजीवास ग्लेशियर देखना, कारगिल के द्रास में वॉर मेमोरियल देखना, ज़ोजिला दर्रा और जीरो पॉइंट देखना , फोटोग्राफी।  
राष्ट्रीय राजमार्ग - 1(NH-1) कैसे पहुँचे  : कश्मीर की राजधानी श्रीनगर हवाई मार्ग या सड़क मार्ग से आकर NH-1 की यात्रा की शुरुवात कर सकते हैं।  यह यात्रा लद्दाख़ की राजधानी लेह से भी शुरु किया जा सकता है।  
राष्ट्रीय राजमार्ग - 1(NH-1) की यात्रा करने का सबसे अच्छा समय : गर्मियों में मार्च से अक्टूबर तक का समय राष्ट्रीय राजमार्ग-1(National Highway-1 or NH-1) की यात्रा का सबसे अच्छा समय हैं।
राष्ट्रीय राजमार्ग - 1(NH-1) की यात्रा करने में लगने वाला समय  :   3  दिन / 2  रात









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