पहलगाम : चरवाहों की घाटी(Trip to Pahalgam - The Valley of Shepherds - Hindi Blog)

कश्मीर(Kashmir) के अनंतनाग(Anantnag) जिले स्थित पहलगाम(Pahalgam) एक छोटा लेकिन विश्वप्रसिद्ध क़स्बा है। कश्मीर(Kashmir) की राजधानी श्रीनगर(Srinagar) से पहलगाम(Pahalgam) की दूरी लगभग 90 किलोमीटर है। लिड्डर नदी(Lidder River) किनारे बसा पहलगाम(Pahalgam) पवित्र अमरनाथ यात्रा का प्रवेश द्वार है। पहलगाम(Pahalgam) को चरवाहों की घाटी(Valley of Shepherds) के नाम से भी जाना है।पहलगाम(Pahalgam) की सुंदरता के बारे में हम लोगों से बहुत कुछ सुन रखा था लेकिन अब अपने आँखों से इसे देखने हम लोग श्रीनगर(Srinagar) से पहलगाम(Pahalgam) के लिए कार से निकले। हमारे ड्राइवर शब्बीर भट ने पहलगाम के बारे में बुनियादी बातें बताई।श्रीनगर से पहलगाम जाने के रास्ते में अखरोट(Walnut) और सेव(Apple) के बहुत सारे पेड़ दिखे। शब्बीर ने बताया की हम लोग पहलगाम से श्रीनगर वापस आते वक़्त सेव के बड़े से बगीचे में चलेंगे। पहाड़ी रास्तों में हरियाली और मौसम का मज़ा लेते हुए हम मस्ती से बॉलीवुड के गाने सुनते हुए पहलगाम(Pahalgam) की बढ़े जा रहे थे।   

थोड़े सफर के बाद पहलगाम(Pahalgam) की शान लिड्डर नदी(Lidder River) दिखने लगी। लिड्डर नदी(Lidder River) के किनारे ही सड़क पर हमारी कार चल रही थी। कश्मीर(Kashmir) की नदियों की खासियत है कि ये ज्यादा गहरे नहीं होते हैं लेकिन पहाड़ के ढलान से उतरते हुए पत्थरों से टकराने के कारण पानी के लहरों से बेहद ही खूबसूरत दिखते हैं। दूसरी बात ये है कि इन नदियों का पानी बहुत की साफ़ और दूध की तरह सफ़ेद दिखता है। लिड्डर नदी(Lidder River) के ऊपर बने पुलों(Bridge) से होकर गुज़ारना बहुत अच्छा लग रहा था। हम लोगों ने लिड्डर नदी(Lidder River) के पास जाने के लिए कार को थोड़ी देर के लिए रोकने का फैसला किया। लिड्डर नदी(Lidder River) की आवाज़ बहुत अच्छी लग रही थी लेकिन इसका पानी बहुत ही ठंढा था। हम लोगों ने यहाँ फोटोग्राफी किया और कुछ देर बाद आगे पहलगाम(Pahalgam) के लिए फिर से चल पड़े। 

कुछ देर बाद हम लोग पहलगाम(Pahalgam) के कार स्टैंड पर पहुँच गए। यहाँ से आगे के घूमने के स्थानों पर हमें घोड़े से जाना था। हम लोग घोड़े से आगे जाने लगे। यह पहाड़ों के बीच देवदार के पेड़ों वाले जंगल का रास्ता था। साथ में हमने स्थानीय फोटोग्राफर को भी ले लिया। कुछ आसान रास्तों के बाद आगे का रास्ता कठिन होता चला गया। मैंने इससे पहले भी घोड़े पर बैठकर सफर किया है लेकिन यकीन मानिये पहलगाम(Pahalgam) में घोड़े से करने वाला सफर बहुत ही मुश्किल, रोमांचक, थोड़ा डरावना और साहसिक है। कई स्थानों पर तो समझ ही नहीं आ रहा था कि घोड़े के आगे जाने का रास्ता कहाँ है लेकिन पहलगाम(Pahalgam) के घोड़े बहुत प्रशिक्षित(Trained) और कमाल के साहसिक थे।  इन घोड़ों के साथ चलने वाले इनके संचालक भी बहुत मेहनती और माहिर थे। कभी कभी जब ये घोड़े अपने रास्तों को बदल दे रहे थे तो संचालक अपने आवाज़ से ही उनको रास्ते पर वापस ला रहे थे।

रोमांच से भरे रास्ते पर बढ़ते हुए हम लोग कश्मीर घाटी(Kashmir Valley) के पॉइंट पर पहुँचे। यहाँ से पहलगाम(Pahalgam) कस्बे का दृश्य बहुत अच्छा लग रहा था। घाटी और पहाड़ों पर विशिष्ट शैली में बने कश्मीरी घर बहुत अच्छे लग रहे थे। थोड़ी देर आगे जाने पर एक सुन्दर सा झरना(Waterfall) दिखा। घोड़े के साथ चलने वाले लड़के ने बताया कि इन जंगलों में जम्मू कश्मीर रियासत के राजा हरिसिंह बाघ का शिकार करने आते थे। घोड़े पर बैठ कर इन उबड़ खाबड़ रास्तों पर चलना अद्भुत अनुभव लग रहा था। थोड़ी देर बाद हम लोग पहलगाम(Pahalgam) के आकर्षण का केंद्र बैसरन(Baisaran) के पास पहुँचे। घोड़े से उतर कर थोड़ा पैदल चलकर आगे जाना था जहाँ बैसरन(Baisaran) घाटी का मुख्य द्वार था। जैसे ही हम लोग द्वार से होकर बैसरन(Baisaran) घाटी पहुँचे हमारे आश्चर्य का ठिकाना नहीं था। 

बैसरन(Baisaran) घाटी पहलगाम(Pahalgam) का दिल है।  एक बहुत बड़े क्षेत्र में फैले बैसरन(Baisaran) घाटी हरे घासों वाली ऊँचे नीचे ढलानों से बनी है। इतने हरे भरे घास के मैदान मैंने अब तक की ज़िन्दगी में कभी नहीं देखे थे। बैसरन(Baisaran) घाटी के चारों ओर देवदार के जंगल और उनके पीछे बर्फ से भरे पहाड़ इसकी खूबसूरती में चार चाँद लगा रहे थे। हम लोग यहाँ चारों ओर खूब घूमे। हमारे फोटोग्राफर ने हम सभी की बहुत सारी अच्छी तस्वीरें भी खींची। हम लोगों ने यहाँ के नज़ारे के वीडियो भी बनाये। कुछ स्थानीय लोग यहाँ की सफ़ेद घुंघराले वालों वाली बकरी और खरगोश लिए हुए थे जिनके साथ हम लोगों ने फोटो भी खिचाये। ऐसा लग रहा था कि हम लोग किसी नब्बे(1990s) के दशक के बॉलीवुड के किसी फ़िल्मी नज़ारों के बीच में आ गए हों। ऐसा लग रहा था कि जैसे हम जन्नत में आ गए थे। कभी हम नरम मखमली घासों पर बैठ रहे थे कभी लेट रहे थे और कभी दौड़ भी रहे थे। कुल मिलकर हम यहाँ की सुंदरता को अपने यादों में समेट रहे थे। वाह, क्या खूबसूरत वक़्त बिताया था हमने बैसरन(Baisaran) घाटी में। 

बैसरन(Baisaran) घाटी को मिनी स्विट्ज़रलैंड(Mini Switzerland) के नाम से भी जाना जाता है। इसे मिनी स्विट्ज़रलैंड(Mini Switzerland) बुलाये जाने पर मुझे गंभीर आपत्ति है। हमें अपने देश की खूबसूरत स्थान को किसी विदेश के स्थान से तुलना करने की क्या ज़रूरत है। पहलगाम(Pahalgam) में स्थित बैसरन(Baisaran)  घाटी को किसी विशेषण(Adjective) की क्या आवश्यकता जब यह अपने आप में एक विशेषण(Adjective) है। जी भरकर मौज़ मस्ती करने के बाद भूख भी लगने लगा था। हम लोगों ने घास पर बैठ कर मैगी खाया और गरमागरम चाय पिया। बहुत देर तक बैसरन(Baisaran) घाटी में अच्छा वक़्त गुज़ारने के बाद हम लोग वापस घोड़े पर बैठ कर कार पार्किंग के स्थान पर वापस जाने लगे। एक बार फिर से कठिन रास्तों पर घोड़े की सवारी का लुफ्त उठाने का मौका मिला। आज का हमारा रात्रि प्रवास(Night Stay) पहलगाम(Pahalgam) में ही था। कार से हम लोग पहलगाम के अपने होटल की ओर जाने लगे। 

पहलगाम(Pahalgam) में हमारा होटल लिड्डर नदी(Lidder River) के बिलकुल किनारे पर ही बना था। कार से सारा सामान अपने कमरे में रखवा कर हम लोग लिड्डर नदी(Lidder River) के किनारे घूमने के लिए गए। थोड़ा घूमने के बाद वापस आकर हम लोगों ने खाना खाया और रात के अँधेरे में टोर्च लेकर लिड्डर नदी(Lidder River) के साथ बने रास्ते पर टहलने के लिए निकले। लिड्डर नदी(Lidder River) के पानी की आवाज़ रात में ज्यादा गूंज रहा था जो कानों में किसी संगीत से कम नहीं लग रहा था। काफी देर तक टहलने के बाद हम लोग होटल के लॉन में बैठ कर देर रात तक पहलगाम(Pahalgam) और कश्मीर(Kashmir) की सुंदरता का बखान करते रहे। 

पहलगाम(Pahalgam) में पूरी रात तेज़ बारिश होती रही थी। सुबह नाश्ता करने के बाद हम लोग छाता लेकर एक बार फिर लिड्डर नदी(Lidder River) के पास गए। नदी की धार बहुत तेज़ हो गया था। हम लोग नदी के किनारे पत्थरों पर बैठ कर अपना पैर नदी में डाल रहे थे। नदी का पानी बहुत साफ़ लेकिन अत्यधिक ठंढा था। लेकिन ऐसे प्राकृतिक माहौल में शरीर अपनी क्षमता भी बढ़ा लेता है। अच्छा वक़्त बिताने के बाद  हम लोग वापस होटल आ गए। अब यह वक़्त पहलगाम(Pahalgam) से विदा लेने का था। 

वापसी के समय जैसा हमारे ड्राइवर शब्बीर भट ने वादा किया था वह हमें सेव के बगीचे(Apple Orchard) में लेकर गया। गर्मी  के मौसम में पेड़ों पर सेव बहुत सारे लगे थे। लेकिन वे कच्चे होने के कारण हरे रंग के दिख रहे थे। हम लोगों ने सेव के पेड़ों को बहुत करीब से देखा।  सेव के इन बागों में घूम कर बहुत अच्छा लगा। अपने मोबाइल से फोटो भी ढेर सारा लिया। इन बागों के पास ही अखरोट(Walnut) के पेड़ भी लगे थे। कुछ समय बिताने के बाद हम लोग वापस कार से आगे चलने लगे। पहलगाम(Pahalgam) में केसर(Saffron), सेव(Apple), अखरोट(Walnut) इत्यादि की खेती बड़े पैमाने पर होती है। रास्ते में एक स्थानीय दूकान से हम लोगों ने केसर(Saffron) और सूखे मेवों(Dry Fruits) की खरीदारी किया। अब हम पहलगाम(Pahalgam) को पीछे छोड़ते हुए श्रीनगर(Srinagar) की ओर बढ़ चले थे। साथ में अपने साथ पहलगाम(Pahalgam) की सुखद यादों को पुलिंदा भी हमारे साथ हमारे दिलों दिमाग में चल  रहा था। 

कश्मीर(Kashmir) की यात्रा में पहलगाम(Pahalgam) की सैर एक अनिवार्य हिस्सा है। पहलगाम(Pahalgam) घूमे बिना कश्मीर की यात्रा ना सिर्फ अधूरी है बल्कि बेरंगी भी है। कभी एक बार चरवाहों की इस घाटी(Valley of Shepherds) में आकर प्रकृति के इस अनुपम भेंट को स्वीकार तो कीजिये। आप का मन और दिल पहलगाम(Pahalgam) की इन हसीन वादियों में खो जाएगा इसकी शत प्रतिशत गारंटी है। तो फिर कभी निकल जाइये कश्मीर(Kashmir) की ओर और पहलगाम(Pahalgam) आपको अपने रुप रंग से खुश और विस्मित ज़रुर कर देगा। पहलगाम तुम्हें ढेर सारा प्यार (Love You Pahalgam) ।

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पहलगाम में ये करना ना भूलें  बैसरन घाटी देखना, लिड्डर नदी के पास समय बिताना, घोड़े की सवारी, सेव और अखरोट के बाग़ देखना, केसर खरीदना, फोटोग्राफी।  
पहलगाम कैसे पहुँचे  : निकटतम हवाई अड्डा श्रीनगर में स्थित है तथा निकटम रेलवे स्टेशन भी जम्मू में 290 किलोमीटर दूर है जहाँ के लिए देश के सभी बड़े शहरों से ट्रैन मिलती हैं। जम्मू, लेह, दिल्ली चंडीगढ़ इत्यादि स्थानों से श्रीनगर होते हुए पहलगाम आप सड़क मार्ग से आसानी से पहुँच सकते हैं।  
पहलगाम जाने सबसे अच्छा समय : वैसे तो पूरे साल पहलगाम में पर्यटक आते रहते हैं लेकिन गर्मियों में मार्च से अक्टूबर तक पहलगाम जाने का सबसे अच्छा समय हैं। सर्दियों में दिसंबर और जनवरी में बर्फबारी(Snowfall) का लुफ्त लेने आप पहलगाम आ सकते हैं। 
पहलगाम जाने में लगने वाला समय  :   3 दिन / 2  रात











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