सोनमर्ग : जहाँ ग्लेशियर दिखते हैं (Trip to Sonmarg - Hindi Blog)
कश्मीर(Kashmir) में अपने प्रवास के अंतिम चरण में हम लोग सोनमर्ग(Sonmarg) के लिए श्रीनगर(Srinagar) से निकले। सोनमर्ग(Sonmarg) कश्मीर के गांदरबल(Gandarbal) जिले में स्थित है। श्रीनगर(Srinagar) से सोनमर्ग(Sonmarg) की दूरी लगभग 81 किलोमीटर है। सोनमर्ग(Sonmarg) जाने के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 1(NH - 1) से होकर जाना होता है। सोनमर्ग(Sonmarg) कश्मीर(Kashmir) का आखिरी क़स्बा है और इसके आगे लद्दाख की सीमा शुरू होती है। सोनमर्ग(Sonmarg) में पहाड़ों की ऊँचाई बहुत ज्यादा है। बर्फ और बादलों से घिरे पहाड़ और इसके आस पास घने जंगल नज़ारे को अद्भुत बना देते है। सोनमर्ग(Sonmarg) के पास ही पवित्र अमरनाथ यात्रा के दूसरे रास्ते का प्रवेश द्वार बालटाल(Baltal) है। लगभग 3 घंटे की कार यात्रा के बाद हम लोग सोनमर्ग(Sonmarg) पहुँचे। सोनमर्ग के बर्फ़ीले पहाड़ों पर सूर्य की किरणें गिरने से यह सोने से बिखरे चमकीले घाटी सी नज़र आती है। इसलिए सोनमर्ग को सोने की घाटी (Meadow of Gold) भी कहा जाता है।
हमारे होटल के चारों ओर ऊँचे ऊँचे पहाड़ दिख रहे थे जिन पर रुई जैसे बादल फैले हुए थे। थोड़े आराम करने के बाद सोनमर्ग(Sonmarg) का प्रसिद्ध स्थान थाजीवास ग्लेशियर(Thajiwas Glacier) देखने जाना था। हमारे होटल के पास से ही घोड़े की सवारी करते हुए थाजीवास ग्लेशियर(Thajiwas Glacier) तक सफर करना था। सोनमर्ग(Sonmarg) के पास ग्लेशियर और बारिश होने के कारण ठंढ बहुत ज्यादा था। घोड़े वाले ने ही हम लोगों को बारिश और ठंढ से बचने के लिए ख़ास गर्म कपड़े और बूट किराये पर दिए। अब हम लोग धीरे धीरे ग्लेशियर की ओर बढ़ रहे थे। पहलगाम(Pahalgam) के घोड़ों द्वारा पार किये जाने वाले रास्तों के अपेक्षा सोनमर्ग(Sonmarg) का यह रास्ता थोड़ा आसान था। दूर तक हरी घास के ऊँचे नीचे ढलान वाले मैदान पर घास चरते घोड़ों को हमने दीवारों पर तस्वीरों में ही देखा था।
पहाड़ी रास्तों पर चलते हुए घोड़े वाले ने ऐसे बहुत सारे स्थानों को दिखाया जहाँ बॉलीवुड के फिल्मों की शूटिंग हुई थी। कुछ देर बाद एक तेज़ धार के साथ बहती एक नदी दिखाई दिया। हमारा आगे का रास्ता इस नदी को पार करके ही आगे जाने का था। हम रास्ता खोज ही रहे थे कि घोड़े नदी के अंदर उतर गए। हम लोग थोड़ा डर से गए थे। लेकिन इन घोड़ों का यह रोज़ का काम था। कुछ देर बाद हमें दूर से थाजीवास ग्लेशियर(Thajiwas Glacier) दिखने लगा था। वहाँ से निकलने वाली नदी भी पास में बह रही थी। वहाँ घाटी में कुछ अस्थाई टेंट बने हुए थे जहाँ आग जल रही थी। सर्दी ज्यादा होने की वजह से हम लोग थोड़ी देर आग के पास बैठे। मैगी और चाय की व्यवस्था भी थी और जोरो की भूख तो लगी ही थी। तो पहले हमने मैगी खाया और चाय पिया। अब काफी ऊर्जा हमारे अंदर आ गया था।
टेंट के बाहर निकल कर हम लोग आस पास के नज़ारे देखने लगे। हर तरफ पहाड़ और वो भी बर्फ से भरे हुए। सामने ही थाजीवास ग्लेशियर(Thajiwas Glacier) था और वहाँ से एक नदी हमारी ओर बह रही थी। हमारे पास ही नदी के ऊपर लकड़ी का एक छोटा लेकिन बेहद खूबसूरत पुल(Bridge) था। हम लोगों ने इस पुल(Bridge) पर और इसके आस पास अलग अलग तरह से फोटो खींचे। यहाँ का नज़ारा पूरा फ़िल्मी था। एक नदी, उस पर एक छोटा लकड़ी का पुल, चारों ओर बर्फीले पहाड़ और जंगल। अब इससे अच्छा प्राकृतिक नज़ारा भला क्या हो सकता था। मैंने नदी के पानी को छूना चाहा तो लगा जैसे बर्फ को हाथ लगाया है। नदी तेज़ धार में पत्थरों से टकराती आगे बहती जा रही थी।
थाजीवास ग्लेशियर(Thajiwas Glacier) को पास से देखने के लिए आगे कुछ दूर पैदल (Trekking) चल कर जाना था। हम उस ओर पहाड़ पर चढ़ने लगे। ग्लेशियर से निकलता हुआ पानी बहुत सारे धाराओं(Streams) में नीचे बह रहा था। इन धाराओं को सावधानी से पार कर हम लोग थाजीवास ग्लेशियर(Thajiwas Glacier) के बिलकुल पास पहुँच गए थे। हमारे सामने पहाड़ पर बर्फ ही बर्फ थे और वे पिघल कल नदी का रूप ले रहे थे। मैंने अब तक ग्लेशियर के बारे में टेलीविज़न पर ही देखा था लेकिन इतने पास से अपने आँखों से देखना अद्भुत था। बर्फ कैसे पिघल कर नदी बन जाता है ये साक्षात हमारे सामने हो रहा था। हम लोगों ने ग्लेशियर के पास बर्फ पर कुछ फोटो खींचे। ठंढ के करना यहाँ ज्यादा देर तक रुकना कठिन हो रहा था और शाम भी होने लगी थी इसलिए हम लोग ट्रैक(Trek) करके वापस आने लगे।
अब अँधेरा काफी हो चूका था लेकिन घोड़े से वापस उसी पहाड़ी रास्ते और नदी को पार करके सोनमर्ग(Sonmarg) कस्बे तक भी जाना था। अँधेरे में सामने वाले पहाड़ पर कुछ रोशनी दिख रही थी। घोड़े वाले ने बताया की ये सब चरवाहों के टेंट हैं जो जम्मू से हर साल गर्मियों में अपनी भेड़े चराने सोनमर्ग(Sonmarg) के घास के मैदानों में आते है और सर्दियों में वापस जम्मू स्थित अपने घर चले जाते हैं। इस जानकारी को सुनकर हम लोग हैरान थे। हैरान तो हम लोग इतने अँधेरे में घोड़ों के आसानी से पथरीले रास्तों पर आराम से चलने पर भी थे। यह प्रशिक्षित घोड़े थे और घोड़ों को रात में भी आसानी से दिखाई देता है। लेकिन थोड़ा डर भी लग रहा था। हमारे डर को नयी ऊंचाई तब मिली जब घोड़े वाले ने बताया कि सोनमर्ग(Sonmarg) में जंगली भालू(Wild Bear) अक्सर दिख जाते है। कई बार तो इन जंगली भालुयों द्वारा सैलानियों पर हमले हो चुके थे। उसने यह भी बताया 4 दिन पहले भी यहाँ जंगली भालू(Wild Bear) दिखा था। अब क्या था। अँधेरे में यह जंगल का रास्ता कुछ ज्यादा कठिन लगने लगा था। एक स्थान पर हमारा घोड़ा रुक गया और आगे नहीं बढ़ रहा था। घोड़े वाले ने बताया की घोड़े ने शायद आगे कुछ देखा है। हमारे धड़कन काफी तेज़ होने लगी थी। उसने मोबाइल की रौशनी में आगे जाकर देखा तो यह एक कटा हुआ पेड़ था जो बैठे हुए भालू जैसा दिख रहा था।
थोड़ी देर में सोनमर्ग(Sonmarg) क़स्बा दिखने लगा था। यह एक बहुत ही अद्भुत और रोमांचक यात्रा था। सोनमर्ग(Sonmarg) में थाजीवास ग्लेशियर(Thajiwas Glacier) को देख कर यह पता चला कि नदियों का निर्माण कैसे होता है। सोनमर्ग (Sonmarg) में बर्फीले पहाड़ सूरज रौशनी में सोने जैसे चमकने लगते है। अगर आप भी ग्लेशियर में होने वाले इन अद्भुत प्राकृतिक घटनाओं के साक्षी बनना चाहते हैं तो कश्मीर(Kashmir) आकर सोनमर्ग(Sonmarg) के थाजीवास ग्लेशियर(Thajiwas Glacier) को ज़रूर देखिये।
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➜सोनमर्ग जाने में लगने वाला समय : 2 दिन / 1 रात